« साहित्यकारों के संपर्क सूत्र
इण काम सूं राजस्थली रो पसराव हुसी, राजस्थानी साहित्य रा अंतरजाळ-पाठक राजस्थली रै प्रिण्ट-रूप सूं जुड़सी,
आस करी जा सकै।
बधाई।
राजस्थली अन्ताजाल और पोथी दोनू माय सोवणी है इण सारु राजस्थली मंडली ने मोकळी मोकळी हिंदी अंतर जाल ब्लॉग पत्रिका ” आखर कलश ” खानी सू बधाई !
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